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रूम नंबर 111 की लव स्टोरी

रूम नंबर 111 की लव स्टोरी


होस्टल की लडकियों से प्यार मोहब्बत का स्वाद तो शायद सब से चखा होगा, बस किसी को ज्यादा मिला होगा तो किसी को कम, और शायद किसी को सिर्फ देखने के लिए मिला होगा. अगर मैं अपनी बात करूँ तो मैंने होस्टल की लडकियों से जमकर मोहब्बत की, क्योंकि स्कूल से लेकर कॉलेज तक मैं होस्टल में रहा, मेरी आधी लाइफ होस्टल में ही बीती है, इसलिए मुझे ये लाइफ अच्छी लगती है.

स्कूल ख़त्म हो चुके थे, मैं अपने घर घुमने गया था, एक महीने रहने के बाद मैंने देहरादून के एक कॉलेज में एडमिशन ले लिया, वहां का होस्टल भी अच्छा था, क्योंकि लडकियों और लड़कों का होस्टल साथ में ही था, लेकिन बिल्डिंग अलग अलग थी. वहां के हॉस्टल के रूल काफी कड़े थे, जिसकी वजह से कोई भी लड़कियों के होस्टल की तरफ देखता भी नहीं था, शुरू शुरू में तो मैं भी ऐसा ही था, लेकिन ज्यादा दिन तक नहीं, मैं तो रूल तोड़ने के लिए ही बना था, मैं लड़कियों के होस्टल के बाहर घुमा करता था, लेकिन कोई लड़की मुझे लाइन नहीं दे रही थी.

एक दिन क्लास में मुझे एक दोस्त मिल गई, जो होस्टल में ही रहती थी. जब मैंने उसे प्रपोज करना चाहा तो उसने मुझे अपना रूम नंबर दिया और बोला, अगर तुम्हारे अंदर हिम्मत है तो तुम मुझे मेरे रूम नंबर 111 पर आ कर प्रपोज करना, तब मैं कुछ सोंचुंगी. मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था, क्योंकि होस्टल में कड़ी सेकुरिटी रहती थी. साथ में CCTV भी लगे हुए थे. पंछी भी वहां पर नहीं मार सकता था और मुझे उस होस्टल के अंदर जाना था वो भी रूम नंबर 111.



अब यहाँ मेरा होस्टल लाइफ का अनुभव काम आया. पहले मैं अपने होस्टल के छत पर गया और गर्ल होस्टल के छत पर कूद गया, इसके बाद चुप चाप से होस्टल के पाइप सहारे नीचे उतरने लगा और ठीक रूम नंबर 111 कि खिड़की से अन्दर आ गया, मुझे देख कर पहले तो वो डर गई, लेकिन बाद में उसे मेरी हिम्मत का एहसास हो गया. चेलेंज के मुताबिक मैंने उसे रूम के अंदर प्रपोज किया और उसने एक्सेप्ट भी कर लिया.

room nambar 111 ke love story

उसे लगा था कि मैं उसके रूम तक पहुँच नहीं सकता था, लेकिन उसे ये नहीं पता था कि मैं अपनी आधी जिन्दगी होस्टल में बिता चुका हूँ. उसे उसके रूम नंबर 111 में प्रपोज करने के बाद मैं रोज उससे मिलने उसके रूम में जाता और हम फिर जमकर प्यार करते, इस बारे में किसी को भी पता नहीं था. चार साल ऐसे ही बीत गए हमारे, आज वो कहाँ है न मैं जनता हूँ और शायद वो मेरे बारे में भी नहीं जानती होगी. कॉलेज कम्पलीट किये हुए मुझे आठ साल बीत चुके हैं. अब मैं अपने पापा का व्यापार संभालता हूँ.

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