एक विधवा की अधूरी प्रेम कथा
एक विधवा की अधूरी प्रेम कथा
हमारे समाज में प्यार नाम का तो शब्द ही नहीं है, सिर्फ जो शादी कर लेते है, वो ही आपस में प्यार कर सकते हैं. अगर कोई स्कूल और कॉलेज में प्यार कर बैठा तो समाज उसे जीने नही देता. यही सच्ची है. लेकिन कुछ का प्यार भी सफल हो जाता है. लेकिन क्या विधवा को प्यार करने की इजाजत है हमारे समाज में, क्या वो अपनी जिन्दगी सिर्फ गम में गुजार देगी, क्या उसकी किस्मत में खुशियाँ नहीं है? आज हम आपको एक ऐसी ही एक विधवा को प्रेम कहानी सुनायेंगे, जो अधूरी रह गई, क्योंकि समाज ने उसे प्यार करने की इजाजत नहीं दी थी.
कविता नाम की एक लड़की उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के पास वाले एक छोटे से शहर में रहती है. जिसका पति जमींदार था, कविता जितनी खुबसुरत होती है, उतनी ये कविता भी खुबसुरत थी. कम उम्र में ही उसकी शादी हो गई थी, वो अपनी दुनिया में खुश थी. लेकिन शायद उसकी इस ख़ुशी को किसी की नजर लग गई.
किसी बड़े सड़क हादसे में कविता के पति की मौत हो गई, और कविता समय से पहले ही विधवा हो गई, उसकी शादी को मात्र छह महीने ही हुए थे. अभी तक वो ठीक से मुस्कुरा भी नहीं पाई थी. और गम का पहाड़ उसके उपर टूट के गिर गया.
दिन भर वो घर में रहती न किसी से बात करती और न ही किसी से मिलती. उसके ससुराल वाले भी उसकी तरफ ध्यान भी नहीं देते थे. कविता का घर में मन भी नहीं लगता था, उसे अब बाहर की हवा खानी थी, लेकिन घर के बाहर उसे जाने की इजाजत न थी. एक पुरानी कहावत है “एक पंछी कब तक कैद में रह सकता है, एक न एक दिन ”. चोरी छिपे कविता घर की एक नौकरानी के साथ बाहर घूम आती थी.
जब वो बाहर जाती तो उसकी नजर एक लड़के पर पड़ती, जो उसकी ही उम्र का था. वो लड़का उसे रोज देखा करता था. कविता भी उसे देखा करती थी. शायद आपको पता हो “प्यार की शुरुआत आँखों से ही होती है.”

अब वो बातें भी करने लगे, अब कविता की जिन्दगी में एक नई रोशनी आ गई थी. अब वो खुल कर हंसने लगी थी और बातें करने लगी थी. दोनों को एक दुसरे से प्यार हो गया था. कविता को डर था कहीं किसी को इस बारे में पता न चल जाये, और वही हुआ. एक दिन कविता के ससुर ने कविता को उस लड़के के साथ देख लिया, जब दोनों साथ में बैठ कर बातें कर रहे थे.
जब कविता घर आई तो उस पर सुसराल वालों के गुस्से का पहाड़ टूट पड़ा, ससुर ने उस नौकरानी को काम से निकाल दिया और कविता का एक कमरे में बंद कर दिया. कविता ने भी अपने दिल के एक कोने में अपने प्यार को बंद कर दिया और उसका प्यार अधुरा रह गया. इसके बाद वो दुबारा कभी मुस्कुरा भी न पाई, उसके जीवन में अन्दर छा चूका था.
हमारे समाज में प्यार नाम का तो शब्द ही नहीं है, सिर्फ जो शादी कर लेते है, वो ही आपस में प्यार कर सकते हैं. अगर कोई स्कूल और कॉलेज में प्यार कर बैठा तो समाज उसे जीने नही देता. यही सच्ची है. लेकिन कुछ का प्यार भी सफल हो जाता है. लेकिन क्या विधवा को प्यार करने की इजाजत है हमारे समाज में, क्या वो अपनी जिन्दगी सिर्फ गम में गुजार देगी, क्या उसकी किस्मत में खुशियाँ नहीं है? आज हम आपको एक ऐसी ही एक विधवा को प्रेम कहानी सुनायेंगे, जो अधूरी रह गई, क्योंकि समाज ने उसे प्यार करने की इजाजत नहीं दी थी.
कविता नाम की एक लड़की उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के पास वाले एक छोटे से शहर में रहती है. जिसका पति जमींदार था, कविता जितनी खुबसुरत होती है, उतनी ये कविता भी खुबसुरत थी. कम उम्र में ही उसकी शादी हो गई थी, वो अपनी दुनिया में खुश थी. लेकिन शायद उसकी इस ख़ुशी को किसी की नजर लग गई.
किसी बड़े सड़क हादसे में कविता के पति की मौत हो गई, और कविता समय से पहले ही विधवा हो गई, उसकी शादी को मात्र छह महीने ही हुए थे. अभी तक वो ठीक से मुस्कुरा भी नहीं पाई थी. और गम का पहाड़ उसके उपर टूट के गिर गया.
दिन भर वो घर में रहती न किसी से बात करती और न ही किसी से मिलती. उसके ससुराल वाले भी उसकी तरफ ध्यान भी नहीं देते थे. कविता का घर में मन भी नहीं लगता था, उसे अब बाहर की हवा खानी थी, लेकिन घर के बाहर उसे जाने की इजाजत न थी. एक पुरानी कहावत है “एक पंछी कब तक कैद में रह सकता है, एक न एक दिन ”. चोरी छिपे कविता घर की एक नौकरानी के साथ बाहर घूम आती थी.
जब वो बाहर जाती तो उसकी नजर एक लड़के पर पड़ती, जो उसकी ही उम्र का था. वो लड़का उसे रोज देखा करता था. कविता भी उसे देखा करती थी. शायद आपको पता हो “प्यार की शुरुआत आँखों से ही होती है.”

अब वो बातें भी करने लगे, अब कविता की जिन्दगी में एक नई रोशनी आ गई थी. अब वो खुल कर हंसने लगी थी और बातें करने लगी थी. दोनों को एक दुसरे से प्यार हो गया था. कविता को डर था कहीं किसी को इस बारे में पता न चल जाये, और वही हुआ. एक दिन कविता के ससुर ने कविता को उस लड़के के साथ देख लिया, जब दोनों साथ में बैठ कर बातें कर रहे थे.
जब कविता घर आई तो उस पर सुसराल वालों के गुस्से का पहाड़ टूट पड़ा, ससुर ने उस नौकरानी को काम से निकाल दिया और कविता का एक कमरे में बंद कर दिया. कविता ने भी अपने दिल के एक कोने में अपने प्यार को बंद कर दिया और उसका प्यार अधुरा रह गया. इसके बाद वो दुबारा कभी मुस्कुरा भी न पाई, उसके जीवन में अन्दर छा चूका था.

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