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क्या आकर्षण ही प्रेम

क्या आकर्षण ही प्रेम



स्वीटी तीन बहनो में सबसे छोटी बहन थी, वह अपने माता पिता के साथ भोपाल से सटे एक कसबे में रहती थी, जहाँ स्वीटी के पिता रेलवे में काम करते थे, सरकारी घर था, जो काफी बड़ा था, स्वीटी और उसकी दोनों बड़ी बहन उसी कसबे में रह कर पढ़ाई करती थी, स्वीटी की दोनों बहने पढ़ने तेज थी लेकिन देखने में ज्यादा सुन्दर नहीं थी, वहीँ स्वीटी घर में सबसे छोटी और देखने में भी बहुत सुन्दर होने के साथ साथ सभी की लाड़ली थी, उसकी हर फरमाइश पूरी की जाती थी, देखते देखते सभी बहने बड़ी हो गयी,

 स्वीटी के पिता ने बड़ी बेटी की शादी ठेकेदार से कर दी, जो की भोपाल में रहता था और बहुत ही पैसे वाले के साथ साथ रसूख वाला भी था, वहीँ दूसरी बेटी की शादी रेलवे में ही कार्य करने वाले स्टाफ के साथ कर दी, जो की इंदौर में रहता था, अब बच गयी स्वीटी, जिसे पढ़ने से ज्यादा सजने सवरने में मन लगता था, स्वीटी ज्यों ज्यों बड़ी हो रही थी त्यों त्यों अधिक सुन्दर होती जा रही थी, काफी दिनों के बाद स्वीटी की बड़ी बहन और उसके जीजा जी आये, जीजा जी स्वीटी को देखते रह गए उन्हें विश्वास नहीं हो पा रहा था की स्वीटी इतनी सुन्दर हो जायेगी, और उन्होंने स्वीटी को बोल भी दिया की अगर वो उसे अभी देखे होते तो उससे ही शादी करते, लेकिन जीजा जी के आँखों को स्वीटी ऐसी भायी की वो स्वीटी के खूबसूरती के दीवाने हो गए, इधर स्वीटी के पिता ने स्वीटी की शादी की जिम्मेदारी उसके जीजा जी पर सौंप दिया,

 जीजा जी ने स्वीटी से पूछा उसे कैसा पति चाहिए? स्वीटी ने भी बिना कुछ सोचे समझे, आप जैसा बोल दिया. जीजा जी ने अच्छा कह कर बात समाप्त कर दिया और दो दिन रह कर वापस भोपाल आ गए, फिर स्वीटी के यहाँ स्वीटी के लिए रिश्ते आने लगे, लेकिन कुछ ना कुछ वजह से शादी टूट जा रही थी



ऐसे में स्वीटी की बड़ी बहन ने स्वीटी को अपने साथ भोपाल ले आयी, अब तो स्वीटी के जीजा जी मन ही मन खुश हो गए, वो स्वीटी की हर मांग पूरी करने लगे, महंगा फोन महंगा ड्रेस सब कुछ ला कर देने लगे, साथ ही साथ उसके शरीर से भी मजाक करने लगे, एक शाम स्वीटी की दीदी घर में नहीं थी, स्वीटी घर में अकेली थी जिसका फैयदा जीजा जी ने उठाया और स्वीटी के साथ शारीरिक संबंध बनाया,

 पहले तो स्वीटी ने मना किया लेकिन बाद में वह भी मान गयी, अब तो जब उन दोनों को मौका मिलता वो सेक्स कर लेते, इधर स्वीटी के पिता परेशां की स्वीटी का उम्र बिता जा रहा है, लेकिन उसकी शादी नहीं हो पा रही है, इधर स्वीटी और उसके जीजा काफी खुश थे, एक दिन स्वीटी के पापा भोपाल आ कर स्वीटी को ले आये, अब तो जीजा को मन नहीं लग रहा था, उसे लग रहा था की स्वीटी के बिना उसका जीवन अधूरा है, वह एक बार फिर पहले की भाँती ही रिश्ता भिजवाने लगे और अंतिम समय में लड़के वालो से मना करवा देने लगे,

 ताकि एक बार फिर स्वीटी भोपाल आ जाए, और हुआ भी ऐसा ही स्वीटी एक बार फिर भोपाल हो गयी और स्वीटी और जीजा दोनों एक बार फिर मस्ती करने लगे.लेकिन आखिर कितनो दिनों तक इसलिए स्वीटी के जीजा ने अपने ही एक कर्मचारी से स्वीटी की शादी इसी शर्त पर करवा दी की वह स्वीटी को अपने यहाँ आने देगा, अब शादी के बाद भी स्वीटी दीदी के यहाँ आती और जब दोनों को मौका मिलता दोनों सेक्स कर लेते, ऐसे में स्वीटी माँ बन गयी और और वह अब दीदी के यहाँ जाना छोड़ दी, अब वह पूरी तरह से अपने ससुराल में ही रहने लगे, लेकिन उसके जीजा का आकर्षण खत्म नहीं हुआ और वह बार बार स्वीटी को अपने यहाँ बुलाता, लेकिन स्वीटी को यह सच समझ में आ गया था की कभी भी वह अपने जीजा के साथ ताउम्र नहीं रही सकती इसलिए वह अपने पति के साथ ही रहने लगी.

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