भाई की साली ने किया प्यार में पागल
भाई की साली ने किया प्यार में पागल
गर्मियों का समय था, मेरे भाई की कई जगह शादी की बातें चल रही थीं. हमारे शहर के पास वाले गाँव में भाई को लड़की पसंद आ गई, घर वालों ने मंगनी की रश्म भी कर दी, मंगनी की रस्म में मैं भी उनके घर गया था, मेरी होने वाली भाभी की एक छोटी बहन थी, जो भाभी से भी ज्यादा खुबसुरत थी उसका नाम रेणुका था, भईया तो पहले रेणुका को ही पसंद करने वाले थे, लेकिन वो अभी छोटी थी और कक्षा बहरावी में पढ़ती थी.
रेणुका को जो भी पहली नजर में देखेगा वो तो पक्का उसके प्यार में पागल हो जायेगा, मैं तो उसकी खूबसूरती का शिकार हो चुका था. पता नहीं कितने लोग पागल हो चुके होंगे, लेकिन वो बहुत सीधी साधी थी, उसका भाई बेहद खतरनाक था, इसलिए किसी भी लड़के की हिम्मत नहीं होती थी रेणुका से बात करने की. मैं तो उनका रिश्तेदार बनने वाला था, मैं तो जी खोल कर उससे बातें की.
दो महीने बाद भाई की शादी हो गई, शादी के दौरान रेणुका मेरी एक अच्छी दोस्त बन चुकी थी. उसके पास फोन नहीं था इसलिए हमारी बात नहीं हो पाती थी. शादी के बाद रेणुका हमारे घर आती तो थी, लेकिन सिर्फ़ कुछ ही घंटों के लिए.

उसके गाँव में बाहरवीं तक का ही स्कूल था, आंगे की पढाई के लिए उसे शहर आना था, उसके पाप ने शहर के अच्छे से कॉलेज में उसका एडमिश करवा दिया और होस्टल में उसके रहने का इन्तेजाम करवा दिया. मुझे ख़ुशी तो थी कि रेणुका अब हमारे शहर आ चुकी है और उसके पास अब फोन भी था. रविवार को वो घर आ जाती थी, शाम को मैं उसे होस्टल छोड़ आता था. धिरे धीरे हमारी फोन में बातें भी होने लगीं. अब तो कॉलेज बंक करके वो मेरे साथ यहाँ वहां घुमा करती थी. ऐसा कई दिनों तक रहा, अब तो उसे मेरी आदत पड़ चुकी थी. दिन रात हम फोन में बातें किया करते थे.
उस दिन घर में भईया और भाभी की शादी की पहली सालगिरह थी, मैं और रेणुका ने घर पर एक छोटी सी पार्टी रखी, उस दिन सिर्फ भईया और भाभी की सालगिरह ही नहीं बल्कि हमारे प्यार की सालगिरह भी थी. शाम को सब केक काटने के लिए भाभी और रेणुका का इन्तेजार कर रहे थे, थोड़ी देर में भाभी तयार हो कर आ गई, लेकिन अभी तक रेणुका नहीं आई थी. करीब पांच मिनट के बाद रेणुका सीढ़ियों से नीचे आने लगी, तभी मेरी नजर उसपर पड़ी, वो एकदम परी की तरह दिख रही थी. केक कटा और पार्टी शुरू हो गई, रात हो गई थी. सब अपने अपने कमरे में सोने चले गए, मैं और रेणुका सब सामान समेटने लगे, तभी मैंने रेणुका का हाँथ पकड़ा और उसे पानी तरफ खिंचा और उसके गाल में किस कर दिया और उसे एक लाल गुलाब का फूल देकर प्रप्रोस कर दिया,
वो चुप हो गई और बिना कुछ बोले ही अपने कमरे चली गई. मुझे कुछ समझ में नहीं आया रात भर मैं इस बारे में सोंचता रहा कि मैंने सही किया या गलत, जब सुबह हुई तो उसने मेरे हाँथ में एक चट्टी थमा दी, जिसपर अइ लव यु लिखा हुआ था. और इसके बाद हमारे प्यार की कहानी शुरू हो गई.
गर्मियों का समय था, मेरे भाई की कई जगह शादी की बातें चल रही थीं. हमारे शहर के पास वाले गाँव में भाई को लड़की पसंद आ गई, घर वालों ने मंगनी की रश्म भी कर दी, मंगनी की रस्म में मैं भी उनके घर गया था, मेरी होने वाली भाभी की एक छोटी बहन थी, जो भाभी से भी ज्यादा खुबसुरत थी उसका नाम रेणुका था, भईया तो पहले रेणुका को ही पसंद करने वाले थे, लेकिन वो अभी छोटी थी और कक्षा बहरावी में पढ़ती थी.
रेणुका को जो भी पहली नजर में देखेगा वो तो पक्का उसके प्यार में पागल हो जायेगा, मैं तो उसकी खूबसूरती का शिकार हो चुका था. पता नहीं कितने लोग पागल हो चुके होंगे, लेकिन वो बहुत सीधी साधी थी, उसका भाई बेहद खतरनाक था, इसलिए किसी भी लड़के की हिम्मत नहीं होती थी रेणुका से बात करने की. मैं तो उनका रिश्तेदार बनने वाला था, मैं तो जी खोल कर उससे बातें की.
दो महीने बाद भाई की शादी हो गई, शादी के दौरान रेणुका मेरी एक अच्छी दोस्त बन चुकी थी. उसके पास फोन नहीं था इसलिए हमारी बात नहीं हो पाती थी. शादी के बाद रेणुका हमारे घर आती तो थी, लेकिन सिर्फ़ कुछ ही घंटों के लिए.

उसके गाँव में बाहरवीं तक का ही स्कूल था, आंगे की पढाई के लिए उसे शहर आना था, उसके पाप ने शहर के अच्छे से कॉलेज में उसका एडमिश करवा दिया और होस्टल में उसके रहने का इन्तेजाम करवा दिया. मुझे ख़ुशी तो थी कि रेणुका अब हमारे शहर आ चुकी है और उसके पास अब फोन भी था. रविवार को वो घर आ जाती थी, शाम को मैं उसे होस्टल छोड़ आता था. धिरे धीरे हमारी फोन में बातें भी होने लगीं. अब तो कॉलेज बंक करके वो मेरे साथ यहाँ वहां घुमा करती थी. ऐसा कई दिनों तक रहा, अब तो उसे मेरी आदत पड़ चुकी थी. दिन रात हम फोन में बातें किया करते थे.
उस दिन घर में भईया और भाभी की शादी की पहली सालगिरह थी, मैं और रेणुका ने घर पर एक छोटी सी पार्टी रखी, उस दिन सिर्फ भईया और भाभी की सालगिरह ही नहीं बल्कि हमारे प्यार की सालगिरह भी थी. शाम को सब केक काटने के लिए भाभी और रेणुका का इन्तेजार कर रहे थे, थोड़ी देर में भाभी तयार हो कर आ गई, लेकिन अभी तक रेणुका नहीं आई थी. करीब पांच मिनट के बाद रेणुका सीढ़ियों से नीचे आने लगी, तभी मेरी नजर उसपर पड़ी, वो एकदम परी की तरह दिख रही थी. केक कटा और पार्टी शुरू हो गई, रात हो गई थी. सब अपने अपने कमरे में सोने चले गए, मैं और रेणुका सब सामान समेटने लगे, तभी मैंने रेणुका का हाँथ पकड़ा और उसे पानी तरफ खिंचा और उसके गाल में किस कर दिया और उसे एक लाल गुलाब का फूल देकर प्रप्रोस कर दिया,
वो चुप हो गई और बिना कुछ बोले ही अपने कमरे चली गई. मुझे कुछ समझ में नहीं आया रात भर मैं इस बारे में सोंचता रहा कि मैंने सही किया या गलत, जब सुबह हुई तो उसने मेरे हाँथ में एक चट्टी थमा दी, जिसपर अइ लव यु लिखा हुआ था. और इसके बाद हमारे प्यार की कहानी शुरू हो गई.
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